Saturday, March 19, 2016

व्यक्तित्व की श्रेष्ठ योग्यता, कुशल नेतृत्व क्षमता


     कुछ समय पहले की बात है। मोहन नाम का एक व्यक्ति खरीदी करने नगर में लगने वाले साप्ताहिक हाट में गया। जब वह हाट में  घूम रहा था तो उसकी दृष्टि एक तोते वाले पर पड़ी, जिसके पास एक ही प्रजाति के कई तोते थे। उसे देखकर मोहन के मन में विचार आया कि क्यों न मैं एक तोता खरीदकर अपने घर ले जाऊँ। तोते को देखकर बच्चे खुश हो जाएँगे। ऐसा सोचकर वह तोते वाले के पास पहुंचकर बोला, क्या कीमत है तोते की? तोते वाला बोला हुज़ूर! सभी तोतों की कीमत अलग-अलग है। आपको किस तोते की कीमत बताऊँ? मोहन बोला लेकिन तुम्हारे सारे तोते तो एक ही प्रजाति के हैं, फिर कीमत अलग अलग क्यों? जी हुज़ूर! कीमतें तोतों की शिक्षा और योग्यता के अनुसार हैं। तोते वाला बोला। उसकी बात सुनकर मोहन ने बड़ी ही जिज्ञासा से पूछा क्या शिक्षा और योग्यताएँ हैं इनकी?
     इस पर तोते वाला बोला- सा'ब! नीचे की पंक्ति वाले तोते मैट्रिक पास हैं। ये सभी की सेवा बहुत अच्छी तरह से करते हैं। इनकी कीमत है पचास रूपए। उसके ऊपर वाली पंक्ति के तोते बीए पास हैं। ये अपना सारा काम बड़ी ही मेहनत से करते हैं। इनकी कीमत है सौ रूपये। उसके भी ऊपर की पंक्ति के तोते एमए पास हैं। ये अपना कार्य मेहनत के साथ-साथ सलीके से भी करते हैं। इनकी कीमत दो सौ रूपये और ऊपर की पंक्ति के तोते एमबीए हैं। किसको क्या काम करना चाहिए और कैसे करना चाहिए, ये इसकी योजना बनाते हैं। इनकी कीमत है पाँच सौ रूपये। और सबसे ऊपर की पंक्ति पर जो एक तोता बैठा है, उसकी कीमत है पाँच हज़ार रूपये। पाँच हज़ार रूपये? ऊपर वाले तोते की कीमत सुनकर मोहन आश्चर्य से बोला, क्या यह तोता बाकी सब तोतों से ज़्यादा शिक्षित है और सभी के बराबर अकेला काम करता है?'
     इस पर तोते वाला बोला इसकी शिक्षा के बारे में तो नहीं मालूम, लेकिन इसकी कीमत इसलिए ज़्यादा है, क्योंकि बाकी सभी तोते इसे "सर' कहते हैं। कुछ रूककर वह आगे बोला इसकी एक आवाज़ पर सारे तोते कोई भी कार्य करने को तैयार हो जाते हैं और बड़ी से बड़ी समस्या का मिल-जुलकर सामना करते हैं। इस प्रकार इसके अंदर है नेतृत्व का गुण। अब आप तो समझते हो ना सा'ब। यह गुण तो अनमोल है। मैं तो सिर्फ पाँच हज़ार रूपए माँग रहा हूँ।
     अब मोहन ने तोता खरीदा कि नहीं, यह तो हमें नहीं मालूम, लेकिन जो हमें चाहिए था, वह हमें मिल गया। वैसे भी आज की कहानी सांकेतिक है। अकसर लोग किसी व्यक्ति की नेतृत्व क्षमता को कम करके आँकते हैं, जब कि यह क्षमता अनमोल होती है। इस बात को और अच्छी तरह चार्लस श्वेब के उदाहरण से समझा जा सकता है।
     श्वेब की गिनती दुनियां के सर्वाधिक वेतन पाने वाले अधिकारियों में होती है। अपने जमाने के इस्पात किंग एण्ड्रयू कारनेगी उऩ्हें दस लाख डॉलर मासिक वेतन देते थे। एक बार जब उनसे पूछा गया कि तुम्हें इतना अधिक वेतन क्यों मिलता है? क्या तुम विलक्षण प्रतिभा वाले हो या इस्पात बनाने का ज्ञान तुम में दूसरों की अपेक्षा अधिक है? इस पर श्वेब ने जवाब दिया था कि मेरे पास ऐसे अनेक विशेषज्ञ हैं जो इस्पात बनाने की जानकारी मुझसे कहीं अधिक रखते हैं। मुझे इतना अधिक वेतन इस बात के लिए मिलता है कि मैं उनसे उत्साह के साथ काम लेना जानता हूँ। अच्छा काम करने पर मैं उनकी प्रशंसा करता हूँ। गलत करने पर प्यार से समझाता हूँ। इसके साथ ही मैं हर सुख-दुःख में उनके साथ खड़ा रहता हूँ।
     इस प्रकार श्वेब अपने साथी कर्मचारियों पर अपनी श्रेष्ठता नहीं थोपते थे। वे सह्मदय थे और सबके साथ समान व्यवहार करते थे। यही उनके व्यक्तित्व के श्रेष्ठ गुण थे, जिनकी वजह से वे कर पाते थे अपनी टीम का कुशल नेतृत्व।
    यदि आप सबसे ऊपर वाला तोता बनना चाहते हैं तो आप में होनी चाहिए कुशल नेतृत्व क्षमता। और इस क्षमता को प्राप्त करने के लिए आप में किन गुणों का होना आवश्यक है, यह भी आप जान ही गए होंगे श्वेब के उदारण से। तो फिर आज से ही शुरु कर दें अपने व्यक्तित्व में उन श्रेष्ठ गुणों सो समाहित करने का अभ्यास जिनके माध्यम से आप में पैदा होती है कुशल नेतृत्व क्षमता, क्योंकि यह वर्तमान समय की माँग भी है। 

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